बाबा के चम्त्कार
- जोहड के पास बाडे मे रहते हुए उन्होने अंधे कुभ्हार को अपने योग बल से नेत्र ज्योति प्रदान की।
- किसानो के लिए पानी बरसाया और नाग को वश मे किया।
- ईस्वी सन 1896 विक्रमी संवत 1953 में जब अकाल पडा तब इस इलाके मे लगातार 15 दिनो तक बरसात करवाकर उन्होने लोगो को राहत प्रदान की।
- सन 1903 विक्रमी संवत 1960 इस इलाके मे जब प्लेग फ़ैला तो बाबा की मेहर से यह बीमारी इस गांव मे प्रवेश के साथ ही बाबा के आदेश से गांव छोड गयी।
- इसी प्रकार राज्स्थान से गौए लेकर चराते हुए तिगड़ाना पहुँचे बंजारा परिवार में से एक बच्चे को सर्प ने काट लिया जिसे लेकर वह बाबा की शरण में आया तो बाबा की दैविक शक्ति ने उसे जिन्दा कर दिया।
- अलवर के रहने वाले अध्यापक पंडित मांगेराम के द्वारा सपत्निक अपने इकलोते अन्धे पुत्र को लेकर बाबा की शरण में आया बाबा ने उसे नेत्र ज्योति प्रदान की।
- बाबा ने भोजावास के पुत्रहीन भेरुसिहँ की अरदास पूरी कर उसे व्रधावस्था की और बढ़ती उम्र में एक पुत्र का वरदान दिया भेरुसिहँ भोजावास छोड्कर तिगड़ाना आकर बस गया।
- बाबा ने पास रहने वाले कुत्ते के अचानक मर जाने पर उसे जिन्दा किया।
- परमहंस लटाधारी के पुण्य प्रताप का फ़ल पाने की इच्छा से भिवानी के एक सेठ सेठानी जिनके बच्चे होकर भी नही बचते थे। बाबा के श्रीचरणो में पटवारी के हवेली के ऊपर चौबारे में जा लेटे तब बाबा ने सेठानी को को उपर से धक्का दिया जिससे सेठानी के गर्भ से शिशु हुआ और वह पूरी उम्र जीयेगा यह वरदान सेठ सेठानी को बाबा ने दिया। सेठानी को चौबारे से नीचे गिरने पर भी खंरोच तक नही आयी। यह भारी चमत्कार सभी ने देखा।
- इसी प्रकार भीषण अकाल ग्रस्त पाट्ण राज्य के महाराज ने अपने दरबारियों सहित आकर बाबा से अरदास की तो बाबा ने उन्हे आशिर्वाद देकर विदा किया पाट्ण महाराज ने भण्डारा किया तो पाट्ण राज्य में अच्छी वर्षा हुई जिससे वहाँ हरियाली छा गयी और खूब फसलें हुई जिससे पाट्ण राज्य के निवासी सुखी और सम्पन्न हो गये।
- इसी प्रकार बाबा लटाधारी के सीसर से लाला धन्ना राम जी के साथ दर्शनो के लिए नियमित रुप से पैदल चलकर तिगड़ाने जाने वाले लाला रामप्रसाद जी को बाबा ने आशीर्वाद स्वरूप तीन बार क्रपा क्रपा कहा जिससे इनका कुल वशं सुख सम्र के शिखर की ओर अग्रसर है।