आरती बाबा लटाधारी की
जय बाबा लटाधारी कि स्वामी जय लटाधारी |
सुखकारी दुखहारी तुम जन जन के हितकारी ||
दिव्य रुप के स्वामी तुम हो अनर्तयामी |
अष्टसिद्धि नवनिधि से वित तुम परमहंस स्वामी ||
तुमने दिगम्बर रहकर भी जग को अन्न धन वस्त्र दिया |
जीवन दान दिया भक्तो को शरणागत को अभय दिय ||
छोरों में तुम रहते तुम तिगडाना वासी |
तुम अवधुत महात्मा तुम सरभंगी सन्यासी ||
फ़ूल भानजा सेवक सेठ मूल्चन्द सेवक |
शरण में आया मैं सेवक तुम सबके सुखरासी ||
आरती छोरों वाले की गावें आरती लटाधारी कि नित गावें |
सुख सम्रद्धि घर आवें जिवन गोविन्द का धन्य हो जावें ||
राधे श्याम तंवर